देश के अधिकांश बम धमाकों में भगवा आतंकवाद ?
पिछले हफ्ते बटला हाउस iन्कोन्टर की तीसरी बरसी के मो कि पर यकलख्त (एकदम) मुझे ऐसा महसूस हुआ कि 18 / सितम्बर 2008 / को जामिया नगर में पुलिस उत्पीड़न का शिकार बने आतिफ और साजिद का लहू बोलने लगा है. क्योंकि उस दिन एक तरफ जहां विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनीतिक रहनमा ऑ, छात्रों समुदाय की ओर से विरोध और धरने का आयोजन, कर करके सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच की मांग को दोहराते न्याय की गोहार लगाई जा रही थी वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र पुलिस हिंदू आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार से सिफारिश कर रही थी. महाराष्ट्र पुलिस ने सरकार से भगवा संगठन सनातन संस्था और अभिनव भारत को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल किए जाने की पुरजोर सिफारिश की तो केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से इन संगठनों गतिविधियों की अधिक जानकारी मांगी। यह सब अचानक नहीं हो गया, इसके लिए वर्षों से को शशें हो रही थी, सरकार को लगातार जगाया जा रहा था, पुलिस और प्रशासन को भगवा आतंकवादियों की ओर गंभीरता से ध्यान आकर्षित करने आवेदन की जाती रही हैं यही वजह है कि देर से ही सही सरकार और प्रशासन न