इंसाफ की अधूरी जीत
इंसाफ की अधूरी जीत रविवार, 2 सितम्बर, 2012 शहाबूद्दीन साक़िब 3 यह तो होना ही था । जिन लोगों को इंसाफ और सच्चाई पसंद नहीं उनके लिए तो यह फैसला गलत साबित होना ही था। गुजरात के नरोडा पाटिया नरसंहार के अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा मिलने पर विश्व हिंदू परिषद समेत अन्य कई हिंदू संगठन अदालत के फैसले पर आग बबूला हो गए हैं. न्याय की आस लगाए दंगों के पीड़ितों को देर से ही सही न्याय जरूर मिला है लेकिन इस नरसंहार के सबसे बड़े पापी आज भी खुद को निर्दोष बता रहे हैं. आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे क़रीबी माया कोडनानी को 28 वर्ष की सज़ा दी गयी है. सवाल यह है कि नरसंहार का नेतृत्व करने वाली माया कोडनानी को मंत्री बनाने वाले मोदी खुद को कैसे निर्दोष साबित कर सकते हैं. शर्मनाक बात यह है कि अदालत ने नरोडह पाटिया नरसंहार को किसी सभ्य समाज पर कलंक 'बताया. अदालत ने कहा कि इस तरह का नरसंहार करने वाले को ऐसी सज़ा दी जानी चाहिए जिससे भविष्य में कभी ऐसी घटना न हो. अदालत ने नरोडा पाटिया दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार का शिकार होने वाली एक महिला को पांच लाख र