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मीडिया में सछ्चाई से अनदेखी का बढ़ता रुझान

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जांच एजेंसियों और मीडयाके  तारिक कर पर न्याय पसंद लोगों द्वारा आपत्तियाँ कोई नहीं बात नहीं है. बारहाअपने कर्तव्यों को पूरा  करने में जानिब  दाराना व्यवहार करने परमीडयाको  मुंह  की खानी पड़ी है. राजनीति  तबका के  एक वर्ग के साथ  बुद्धिमान ने भी इस तरह की तुच्छ हरकत से बाज आने की मीडिया को नसीहत की है, मगर सनसनी फीलाने और  जनता का ध्यान केवल अपनी ओर आकर्षित करानेकी होड़ में वह अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं. तिल को तार बनाकर पेश करने में माहिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े लोगों  में  यह रुझान खतरनाक रूप इख्तेयार करता  जा रहा है कि वह सच्चाई का सामना नहीं करते बल्कि जब कभी कोई महत्वपूर्ण घटना उनकी नज़रों के सामने होती  है तो बड़ी चालाकी से अपनी आँख मूनद लीते है - क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि ईमानदारी पुर उन्हें अपने मालिकों  से पुरस्कार नहींमलने वाला है तो फिर क्यों न वह काम किया जाए जiस  पर उसकी वाह वाही भी हो और इम्नाम भी  मिले, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि उसकी पेशकश और समाचार सच्चाई पर न जाने कितने लोगों की निगाहें केंद्रित होती हैं और यह करें बैठे हैं कि शायद उनकी रिपोर