अजीब मगर सच?

सूचना क्रांति के इस दौर में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसने खुद को एक कमरे में बंद कर रखा है और पिछले 47 साल से वह बाहर नहीं निकला है। बाहरी दुनिया से उसका कोई संपर्क नहीं है।
चीन के साथ युद्ध, मां की मौत और भाई का विवाह किसी भी मौके पर थूला बोरा कमरे से बाहर नहीं निकला। असम के सोनितपुर जिले में तेजपुर के समीप देउरी गांव में रह रहे 63 वर्षीय बोरा को उस समय भी अपने कमरे से बाहर निकलने की जरूरत महसूस नहीं हुई जब चीन के हमले के बाद शत्रु की सेनाएं इलाके को लगभग घेर चुकी थीं और लोगों को वहां से निकाला जा रहा था।
बताया जाता है कि 1962 में बोरा मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया। मां की डांट उसे सहन नहीं हुई और 16 वर्षीय यह युवक एकान्तवासी हो गया। मां की मौत और भाई के विवाह पर भी वह कमरे से नहीं निकला।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सत्यन गोस्वामी ने बताया कि मैंने कई बार बोरा को बाहर निकलने के लिए समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं निकला। अपने एकांतवास का उसने कोई कारण भी नहीं बताया।
बोरा के परिजन भी बताते हैं कि पिछले 47 साल में वह एक बार भी अपने कमरे से बाहर नहीं निकला। बोरा के परिजनों के अनुसार, उसे भोजन अंदर दे दिया जाता है जिसे वह मर्जी के अनुसार, खा लेता है। अपने कमरे की सफाई बोरा खुद करता है।
पहले वह देशभक्तिपूर्ण कविताएं लिखता था और कभी कभार उन्हें पढ़ता भी था लेकिन समय के साथ यह शौक खत्म हो गया।
उसके एक परिजन ने बताया कि अब वह कमजोर हो गया है। उसकी यादाश्त भी पहले जैसी नहीं है। हम सभी को तो वह पहचान भी नहीं पाता। जब बोरा ने स्वयं को एक कमरे में कैद किया था तब उसकी उम्र 16 साल थी। आज वह 63 साल का है। इस बीच उसने कभी किसी के साथ बुरा सलूक नहीं किया।
उसके भाई ने बताया कि संपर्क करने पर डाक्टरों ने कहा कि शायद बोरा अवसाद का शिकार है लेकिन खुद बोरा ने कभी डाक्टरी जांच नहीं कराई।

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