नन्हे-मुन्नों के लये टीवी देखना मुज़िर
2साल से छोटे बच्चों के टीवी देखने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए क्योंकि इससे उनके विकास पर असर पड़ता है। यह कहना है ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का।
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए प्रथम आधिकारिक दिशा निर्देशों के अनुसार कई घंटों तक टीवी के सामने यूं ही बैठे रहने से बच्चों के सामाजिक मेल-मिलाप एवं किसी विषय पर ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक दो साल से कम आयु के बच्चों के टीवी देखने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जबकि दो से पांच साल तक के बच्चों के लिए टीवी देखने का अधिकतम समय दिन में एक घंटा निर्धारित कर देना चाहिए। ये दिशा-निर्देश मोटापा रोकने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है। ये दिशा निर्देश अगले वर्ष से लागू हो जाएंगे।
मेलबोर्न के रॉयल चिल्ड्रन्स अस्पताल द्वारा तैयार उपरोक्त दिशा-निर्देश मुख्यत: चाइल्ड केयर सेंटर्स के लिए है। यद्यपि अभिभावकों को भी यह सलाह दी गई है कि घर पर भी वे अपने बच्चों को कम से कम टीवी देखने दें। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बच्चे ज्यादा टीवी देखते है, तो उनके खेलने-कूदने, अन्य लोगों से बातचीत करने और बोलना सीखने के लिए समय कम बचता है। वहीं टीवी पर आंखें गड़ाए रहने से आंखों के मूवमेंट पर भी असर पड़ता है। बच्चों के विकास के लिए उन्हे एक्टिव रखना जरूरी है। बच्चों से आमने-सामने बातचीत करने एवं उनके साथ खेलने से उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास बेहतर ढंग से होता है। रिपोर्ट के अनुसार जब बच्चा एक साल का हो जाए तो उसे कम से कम रोजाना तीन घंटे एक्टिव रखना चाहिए।
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए प्रथम आधिकारिक दिशा निर्देशों के अनुसार कई घंटों तक टीवी के सामने यूं ही बैठे रहने से बच्चों के सामाजिक मेल-मिलाप एवं किसी विषय पर ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक दो साल से कम आयु के बच्चों के टीवी देखने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जबकि दो से पांच साल तक के बच्चों के लिए टीवी देखने का अधिकतम समय दिन में एक घंटा निर्धारित कर देना चाहिए। ये दिशा-निर्देश मोटापा रोकने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है। ये दिशा निर्देश अगले वर्ष से लागू हो जाएंगे।
मेलबोर्न के रॉयल चिल्ड्रन्स अस्पताल द्वारा तैयार उपरोक्त दिशा-निर्देश मुख्यत: चाइल्ड केयर सेंटर्स के लिए है। यद्यपि अभिभावकों को भी यह सलाह दी गई है कि घर पर भी वे अपने बच्चों को कम से कम टीवी देखने दें। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बच्चे ज्यादा टीवी देखते है, तो उनके खेलने-कूदने, अन्य लोगों से बातचीत करने और बोलना सीखने के लिए समय कम बचता है। वहीं टीवी पर आंखें गड़ाए रहने से आंखों के मूवमेंट पर भी असर पड़ता है। बच्चों के विकास के लिए उन्हे एक्टिव रखना जरूरी है। बच्चों से आमने-सामने बातचीत करने एवं उनके साथ खेलने से उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास बेहतर ढंग से होता है। रिपोर्ट के अनुसार जब बच्चा एक साल का हो जाए तो उसे कम से कम रोजाना तीन घंटे एक्टिव रखना चाहिए।
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