ओल्ड इज गोल्ड
फैशन आए दिन बदल जाता है और कपड़े आउट ऑफ ट्रेंड हो जाते है। ऐसे में गर्ल्स मेकअप किट को मेनटेन करे या नए कलेक्शन में पॉकेटमनी खर्च करें? कानपुर की गर्ल्स ने इस समस्या का सस्ता, सरल और बहुत ही रचनात्मक तरीका ढूंढ निकाला है। तो अब न तो रहा जींस के घिसने का डर और न घुटने से फट जाने की टेशन!
दीपिका से मिला आइडिया
बीए की स्टूडेट भावना अवस्थी कहती है, ''बहुत सी ऐसी जींस मेरे वार्डरोब में पड़ी थीं, जो आउट ऑफ फैशन हो गई थीं और कुछ कहीं-कहीं से फट गई थीं। एक इंटरव्यू में मैंने दीपिका पादुकोण को टॉर्न जींस पहने देखा, तब मुझे अपनी पुरानी व फटी जींस को नया लुक देने का आइडिया आया। मैंने मेकअप किट से नेल शार्पनर निकालकर जींस को तीन-चार जगह से और रगड़ दिया। इससे मेरी ब्लू जींस पर सफेद स्पॉट दिखने लगे। यह आजकल का लेटेस्ट फैशन है। इस तरह मेरे वार्डरोब में बिना खरीदे ही चार-पांच फैशनेबल जींस आ गई।''
फ्रेंड्स हो जाते हैं इंप्रेस
हुनर सब में छिपा होता है, जरूरत होती है तो बस प्रैक्टिकल करने की। इसी फंडे पर अमल करते हुए कॉलेज गोइंग गर्ल्स बिना किसी कोर्स के फैशन डिजाइनर बन रही है। एमबीए कर रही जाह्नंवी मल्होत्रा कहती है, ''मैं अपनी जींस खुद ही डिजाइन करती हूं। बाजार से कोई भी नॉर्मल जींस खरीद लाती हूं और उस पर कलाकारी करने लगती हूं। यह तब से शुरू हुआ, जब मेरी नई जींस रिक्शे के किनारे से फंस कर फट गई थी। मेरी फ्रेंड ने मुझे इसे सिलने का तरीका बताया। मैंने जींस पर मोटे चमकीले धागों से सिलाई की। फटी हुई जगह तो सही हो गई, पर जींस को अच्छा लुक देने के लिए मैंने दो-तीन जगह और इंब्रॉडरी स्टाइल में सिलाई कर दी। अब जब मैं यह जींस पहनती हूं तो मेरे फ्रेंड पूछते हैं कि यह नए ट्रेड की जींस तुमने कहां से खरीदी?''
रावतपुर निवासी मीनाक्षी अरोड़ा कहती है, ''मैंने अपने पुराने कपड़ों, खास तौर पर जींस का सुंदरीकरण शुरू कर दिया है। इन दिनों कैप्री का काफी क्रेज है। मेरी जो जींस नीचे से फट गई हैं, उन्हे मैंने थोड़ा और काट दिया और घुटने तक पहुंचा दिया। अब यह बिल्कुल नई कैप्री जैसी दिखती है। इन्हे नीचे से ऐसे काटती हूं जिससे कटी हुई पट्टिंयां लटकने लगे। मेरी डिजाइनर जींस में जो बहुत अच्छी है उन्हे दिन में पहनती हूं, बाकि को रात में।''
जो अच्छा वही फैशन
पैंटालून के कैजुअलवेयर्स डिपार्टमेंट के सुमित गुप्ता का कहना है, ''आज जींस के डिजाइन में इतने प्रयोग किये जाते है कि जो भी पहनने में अच्छा और यूनीक लगता है, फैशन हो जाता है। इसी के चलते आज गर्ल्स अपनी जींस में खुद ही प्रयोग करने लगी है। उनके कुछ डिजाइन तो ऐसे होते है जिनसे हम कई चीजें सीख सकते है।''
बढ़ता कट-स्पॉट का क्रेज
गुमटी निवासी यश कुमारी टेलरिंग का काम करती हैं। लेटेस्ट ट्रेड के बारे में इनका कहना है, ''इन दिनों मेरे पास गर्ल्स अपनी जींस पर तरह-तरह की डिजाइन बनवाने आती हैं। वह इन पर लैस, पैच, कटं, स्पॉट आदि लगवाना पसंद करती हैं। खास तौर पर वो, जिनकी नई जींस कहीं से खराब हो गई हो। पहले तो इनको रफू करने से काम चल जाता था और यह एकदम सामान्य दिखने लगती थीं, लेकिन अब इन पर तरह-तरह के कलात्मक डिजाइन बनाए जा रहे हैं। वे खुद ही मुझे बताती हैं कि जींस को कैसे सजाना है। कुछ ऐसी होती हैं जो अपनी नई जींस भी सिलाई करवाती हैं। वे जींस के घुटने और पॉकेट के नीचे मोटे रंगीन धागों से सिलाई करवाने पर जोर देती हैं।'' अगर ऐसी ही क्रिएटिविटी कानपुर की युवतियों में दिखती रही तो कोई शक नहीं है कि शहर में किसी भी फैशन इंस्टीट्यूट को अपनी पकड़ बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी! (बशुकुर्य जागरण)
दीपिका से मिला आइडिया
बीए की स्टूडेट भावना अवस्थी कहती है, ''बहुत सी ऐसी जींस मेरे वार्डरोब में पड़ी थीं, जो आउट ऑफ फैशन हो गई थीं और कुछ कहीं-कहीं से फट गई थीं। एक इंटरव्यू में मैंने दीपिका पादुकोण को टॉर्न जींस पहने देखा, तब मुझे अपनी पुरानी व फटी जींस को नया लुक देने का आइडिया आया। मैंने मेकअप किट से नेल शार्पनर निकालकर जींस को तीन-चार जगह से और रगड़ दिया। इससे मेरी ब्लू जींस पर सफेद स्पॉट दिखने लगे। यह आजकल का लेटेस्ट फैशन है। इस तरह मेरे वार्डरोब में बिना खरीदे ही चार-पांच फैशनेबल जींस आ गई।''
फ्रेंड्स हो जाते हैं इंप्रेस
हुनर सब में छिपा होता है, जरूरत होती है तो बस प्रैक्टिकल करने की। इसी फंडे पर अमल करते हुए कॉलेज गोइंग गर्ल्स बिना किसी कोर्स के फैशन डिजाइनर बन रही है। एमबीए कर रही जाह्नंवी मल्होत्रा कहती है, ''मैं अपनी जींस खुद ही डिजाइन करती हूं। बाजार से कोई भी नॉर्मल जींस खरीद लाती हूं और उस पर कलाकारी करने लगती हूं। यह तब से शुरू हुआ, जब मेरी नई जींस रिक्शे के किनारे से फंस कर फट गई थी। मेरी फ्रेंड ने मुझे इसे सिलने का तरीका बताया। मैंने जींस पर मोटे चमकीले धागों से सिलाई की। फटी हुई जगह तो सही हो गई, पर जींस को अच्छा लुक देने के लिए मैंने दो-तीन जगह और इंब्रॉडरी स्टाइल में सिलाई कर दी। अब जब मैं यह जींस पहनती हूं तो मेरे फ्रेंड पूछते हैं कि यह नए ट्रेड की जींस तुमने कहां से खरीदी?''
रावतपुर निवासी मीनाक्षी अरोड़ा कहती है, ''मैंने अपने पुराने कपड़ों, खास तौर पर जींस का सुंदरीकरण शुरू कर दिया है। इन दिनों कैप्री का काफी क्रेज है। मेरी जो जींस नीचे से फट गई हैं, उन्हे मैंने थोड़ा और काट दिया और घुटने तक पहुंचा दिया। अब यह बिल्कुल नई कैप्री जैसी दिखती है। इन्हे नीचे से ऐसे काटती हूं जिससे कटी हुई पट्टिंयां लटकने लगे। मेरी डिजाइनर जींस में जो बहुत अच्छी है उन्हे दिन में पहनती हूं, बाकि को रात में।''
जो अच्छा वही फैशन
पैंटालून के कैजुअलवेयर्स डिपार्टमेंट के सुमित गुप्ता का कहना है, ''आज जींस के डिजाइन में इतने प्रयोग किये जाते है कि जो भी पहनने में अच्छा और यूनीक लगता है, फैशन हो जाता है। इसी के चलते आज गर्ल्स अपनी जींस में खुद ही प्रयोग करने लगी है। उनके कुछ डिजाइन तो ऐसे होते है जिनसे हम कई चीजें सीख सकते है।''
बढ़ता कट-स्पॉट का क्रेज
गुमटी निवासी यश कुमारी टेलरिंग का काम करती हैं। लेटेस्ट ट्रेड के बारे में इनका कहना है, ''इन दिनों मेरे पास गर्ल्स अपनी जींस पर तरह-तरह की डिजाइन बनवाने आती हैं। वह इन पर लैस, पैच, कटं, स्पॉट आदि लगवाना पसंद करती हैं। खास तौर पर वो, जिनकी नई जींस कहीं से खराब हो गई हो। पहले तो इनको रफू करने से काम चल जाता था और यह एकदम सामान्य दिखने लगती थीं, लेकिन अब इन पर तरह-तरह के कलात्मक डिजाइन बनाए जा रहे हैं। वे खुद ही मुझे बताती हैं कि जींस को कैसे सजाना है। कुछ ऐसी होती हैं जो अपनी नई जींस भी सिलाई करवाती हैं। वे जींस के घुटने और पॉकेट के नीचे मोटे रंगीन धागों से सिलाई करवाने पर जोर देती हैं।'' अगर ऐसी ही क्रिएटिविटी कानपुर की युवतियों में दिखती रही तो कोई शक नहीं है कि शहर में किसी भी फैशन इंस्टीट्यूट को अपनी पकड़ बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी! (बशुकुर्य जागरण)
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