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Showing posts from November, 2009

महाराष्ट्र में गुंडा राज,अब मीडिया पर हमला

महाराष्ट्र में शिवसेना की गुंडा गर्दी दिन बदिन बदती जारही है-अब शिवसेनाko ने मीडिया पर भी हमला शुरू कर दिया है। शुक्रवार शाम करीब दो दर्जन शिवसैनिकों ने मुंबई के विक्रोली क्षेत्र स्थित आईबीएन 7 एवं आईबीएन लोकमत के दफ्तर पर हमला बोल कर न सिर्फ़ जम कर तोड़फोड़ एवं पत्रकारों से मारपीट की बल्कि शिवसैनिकों ने चेतावनी दी कि बाल ठाकरे के खिलाफ बोलने या लिखने वाले के साथ ऐसा ही होगा। शिवसेना और मनसे अब तक मराठी भाषा के मुद्दे पर हिंदीभाषियों को ही निशाना बनाते रहे -यह पहला अवसर पर है जब उन्होंने अपनी नीति से असहमति जताने वाले किसी मराठी चैनल को भी निशाना बनाया है। लगभग दो दर्जन शिवसैनिक शिवसेना जिंदाबाद का नारा लगाते हुए आईबीएन चैनल के दफ्तर में घुसे और सामने बैठी महिला रिसेप्सनिस्ट पर हमला किया। फिर उन्होंने रिसेप्सनिस्ट को बचाने आगे आए दफ्तर के सुरक्षागार्डो के साथ मारपीट शुरू की। हमलावरों के हाथ में लोहे के राड, बेसबाल के बैट और क्रिकेट के विकेट थे। वे मराठी चैनल आईबीएन-लोकमत के प्रमुख निखिल वागले को ढूंढते हुए दफ्तर के अंदर आ गए। वागले के सामने पड़ते ही उन्होंने उन पर हमला बोल दिया और दफ्त...

बेटी रहमत भी है और नेमत भी

एमडीडीएम मुज़फ्फरपुर में यूएनएफपीए की ओर से आयोजित 'सपनों को चली छूने' कार्यक्रम के उद्घाटन पर जब बात उठी बेटियों की हिफाजत की तो लगभग दो हजार बेटियों की आंखों से आंसू फूट पड़ा-मानो वजूद कायम रखने का सपना बर्फ की मानिंद पिघल कर बाहर आने लगा। कोख में मार डाली जाने वाली बेटियों की चर्चा करते डा। विजया भारद्वाज की पहले डबडबाई थीं -उन्होंने कहा कि पति चाहे कितना भी दबाव दे, कभी अपनी कोख में बच्ची को मत मारिएगा। मेरे पास महिलाएं आती हैं, कहती हैं कि पांचवीं बेटी है, परिवार में मारने का दबाव है। वह रोती है, मैं भी रोती हूं। और बस। इतना बोलते-बोलते डा.भारद्वाज की आंखें छलक आईं तो छात्राएं भी आंसुओं को बहने से नहीं रोक सकीं। सवाल यह है की जब हमारे समाज में बेटी को रहमत और बड़ी नेमत कहा गया है तो फिर बेटी के साथ ऐसा दोहरा सलोक किउँ होता है-इस्लाम मज़हब में बेटी की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की रसूलुल्लाह सल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया ''जिसने दो बेटी की परवरिश की और उसे अच्छी तर्ब्यत दी क़यामत के दिन मैं और वोह इस तरह आएँगे जिस तरह मेरे हाथ की ये दो उन्गुल्या...

सबके लिए शिक्षा अब भी एक सपना

आजादी के छह दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी देश में सबके लिए शिक्षा एक सपना ही बना हुआ है। देश में भले ही शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद जारी है, लेकिन देश की बड़ी आबादी के गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के मद्देनजर सभी लोगों को साक्षर बनाना अभी भी चुनौती बनी हुई है। सरकार ने हाल ही में छह से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का कानून बनाया है, लेकिन शिक्षाविदों ने इसकी सफलता पर संदेह व्यक्त किया है क्योंकि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ है। सरकार के प्रयासों के बावजूद प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इनमें बालिका शिक्षा की स्थिति गंभीर है। विश्व बैंक की हालिया रपट में भारत में माध्यमिक शिक्षा की उपेक्षा किए जाने पर जोर देते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र में हाल के वर्षो में निवेश में लगातार गिरावट देखने को मिली है। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले खर्च का जहां प्राथमिक शिक्षा पर 52 प्रतिशत निवेश होता है वहीं दक्ष मानव संसाधा...

ऐसा भी होता है

भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना आम है। इसका शिकार पुरुष भी हो सकते हैं और स्त्रियां भी। जो चूल्हा -चौके में ही खप रही हैं, उन्हें इस बात का तनाव है कि नौकरी नहीं करती हैं। जो नौकरी करती हैं उनकी परेशानी यह है कि बाहर के साथ घर की देखभाल भी करनी पड़ रही है। कई बार उनके गुस्से के शिकार उनके बच्चे होते हैं। कैसा हो अगर ऐसी महिलाओं को अपना गुस्सा उतारने के लिए किराए पर एक जीता-जागता आदमी मिल जाए, और उसे मारकर वह अपनी भड़ास निकालें। उत्तर-पूर्वी चीन के शेनयांग में तो एक शख्स ने यह सेवा शुरू भी कर दी है। वह पैसे लेकर महिलाओं से खुद को पिटवाता है। जियाओ लिन नाम का यह शख्स एक जिम का कोच है। उसने तनावग्रस्त महिलाओं को अपनी भड़ास निकालने के लिए खुद को एक पंचबैग [मुक्के मारने वाला बैग] की तरह इस्तेमाल करने के लिए पेश किया है। लिन को मारने के लिए महिलाओं को एक कीमत अदा करनी पड़ती है। अपने इस नए कारोबार के बारे में उसने अपने परिवार को नहीं बताया है। बकौल लिन, 'मैं दिन में जिम में लोगों को प्रशिक्षण देता हूं। शाम को मैं ये अंशकालिक काम करता हूं। इस काम के लिए मुझे और भी साथियों की तलाश है। लिन अपन...

विधानसभा में राष्ट्रभाषा का अपमान

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू असीम आजमी के हिंदी में शपथ लेने पर महाराष्ट्र विधानसभा में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] के विधायकों ने जिस तरह से हंगामा है वोह देश केलिए अच्छी बात नही है-यह भाशकी बुन्याद पर मुल्क को बाँटने की एक कोशिश है-अगर मुल्क के नेता का यही हालरहा तो इस देश को एक और बटवारे से कोई नही रोक सकता -इस की जितनी निंदा की जाए कम है-विधानसभा में आज की घटना की जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने घोर निंदा की और इसे राष्ट्रभाषा का अपमान बताया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने राम कदम तथा अन्य लोगों द्वारा सपा विधायक अबू आजमी के हिंदी में शपथ लिए जाने पर की गई अभद्रता की कड़े शब्दों मे निंदा करते हुए कहा कि अबू आजमी ने हिंदी में शपथ लेकर न केवल राष्ट्रभाषा का बल्कि पूरे देश का सम्मान बढ़ाया है। आजमी के हिंदी में शपथ लेने की शुरुआत करने के साथ ही मनसे के सभी 13 सदस्य आजमी की ओर दौड़े और उनसे माइक छीन लिया। वे आजमी के मराठी में शपथ लेने की मांग को लेकर नारे लगाने लगे। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और ऊर्जा मंत्री अजीत पवार ने सदन में शांति कायम...

हिंदी पत्रकारिता के एक युग का खतिमा

हिंदी पत्रकारिता के प्रमुख स्तंभ प्रभाष जोशी के निधन के साथ ही हिंदी पत्रकारिता के एक युग का अवसान हो गया। उन्हें परंपरा और आधुनिकता के साथ भविष्य पर नजर रखने वाले पत्रकार के रूप में सदा याद किया जाएगा। वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने कहा कि अब कागद कारे पढ़ने को नहीं मिलेगा, कागद अब कोरे ही रहेंगे। ऐसा लगता है, मंगलवार आधी रात सचिन के 17 हजार रन से एक तरफ उन्हें खुशी हुई और भारत की हार का आघात लगा..। वरिष्ठ कवि और समालोचक अशोक बाजपेई ने कहा कि यह सिर्फ हिंदी पत्रकारिता का नुकसान नहीं है, बल्कि हिन्दी समाज और बुद्धिजगत की भी क्षति है। हिन्दी में उनके जैसे सर्वमान्य बुद्धिजीवी काफी कम है, जिन्हें सभी ध्यान से पढ़ते हों। उन्होंने कहा कि प्रभाष जी ने अनोखी लेखनी विकसित की और पत्रकारिता के माध्यम से हिंदी को बेहतरीन गद्य दिए। कहां क्रिकेट और कहां कुमार गंधर्व, कहां राजनीति और कहां हिंद स्वराज, इन सभी विपरीत धु्रवों को एक साथ साधना हर किसी के बस में नहीं है। मृत्यु की खबर पाकर प्रभाष जी के आवास पर पहुंचने वालों में भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र, पूर्व सांसद संतोष भारती व ...

ऐ ऐम यु ,कतल और बंद :खेल क्या है ?

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक बार फिर बंद हो जाने से मेरी तरह दुन्या भर में फैले हुए क़दीम छात्र को जो दिली सदमा हुवा है वोह इस यूनिवर्सिटी से बेलोस मोहब्बत का मामूली इज्हार्य है-यूनिवर्सिटी पर अगर ज़रा सा भी आंच आजाएतो हमबेचैन होजाते है-वि सी ने जल्दबाजी में जो क़दम उठाया है उसकी चौतरफा मज़म्मत की जारही है-मोजुदा हंगामा आरई और यूनिवर्सिटी को बंद करने की जो भी वजह हो उसकी ईमानदारी से जाँच ज़रूरी है -मगर छात्र के इल्जाम पर भी गौर करने की ज़रूरत है-छात्र का कहना है के एक छात्र के कतल के बाद इंतजामिया ने अपनी ज़िमदर५इ ठीक से नही निभाई-जिस की वजह से बज छात्र भड़क गए -मगर इस बार हालात ऐसे नही थे के यूनिवर्सिटी बंद की जाती-यूनिवर्सिटी में हंगामा की जो भी वजह बताई जारही उस में केतनी सच्चाई है उस पर गौर करने के बजाए इस पहलु पर भी गौर करना चाइये के बार बार कतल की वारदात के पीछे की सच्चाई किया है-अगर हम इसी तरह उलझते रहे तो अपने असल मकसद से बहुत दूर हो जाएँगे -और दुश्मन हमारी नाकामी पर जशन मनाएँगे -उनिवेसिटी से मोहब्बत का दावा करने वाले हजरात को उसी खलूस से कम करने की ज़रूरत है जो इस उंवेर्...

ऐसे है भाई शाहरुख़

शाहरुख के आकर्षक व्यक्तित्व, मिलनसार स्वभाव और प्रभावी अभिनय की प्रशंसक सारी दुनिया है। उनकी फिल्में भी कहीं न कहीं उनके व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। हिंदी सिनेमा के इस सुपरस्टार के व्यक्तित्व के और भी पहलू हैं जिन पर प्रकाश डाल रहे हैं मुश्ताक शेख। मुश्ताक ने शाहरुख पर दो पुस्तकें शाहरुख कैन और स्टिल रीडिंग खान लिखी हैं। इनमें उनके जीवन और कॅरियर को करीने से संकलित किया गया है। निजी जीवन में शाहरुख मेरी और आपकी तरह साधारण इंसान हैं। वह जब घर में होते हैं तो सारा समय आर्यन, सुहाना और गौरी को देते हैं। भारतीय मूल्यों, आदर्शो और संस्कारों में शाहरुख दिल से यकीन करते हैं और अपनी सभी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाते हैं। यही वजह है कि वे हमेशा खुश एवं संतुष्ट नजर आते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है, जीवन के अंतिम समय तक काम करते रहना। वह मानते हैं कि इंसान की पहचान उसके काम से होती है। अपने काम से ही इंसान निरंतर आगे बढ़ता रहता है। शाहरुख भले ही उम्र की दहलीज पर दहलीज पार करते जा रहे हैं, लेकिन उनके अंदर आज भी दस साल का एक बच्चा है। उनकी इन्हीं खूबियों की बदौलत उनके चाहने वाले उनकी फिल्मों को पस...